भगवान और भगवदवतार बनने-बनाने का पद नहीं होता। भगवदवतार ब्रम्हाण्ड का एक अकेला व शाश्वत पद है जिसके सम्बन्ध में सद्ग्रंथों में सुनिश्चित और सुस्पष्ट विधान है। इस सर्वोच्च, सर्वोत्कृष्ट एवं सर्वोत्तम् पद के मर्यादा को अपने-अपने क्षमता शक्ति भर कायम रखना और उत्तरोत्तर इनको प्रचारित करना-कराना हमारी-आपकी मुख्य भूमिका होना चाहिए।